उत्तरप्रदेश

गाजियाबाद मुरादनगर: श्मशान घाट नरसंहार का मामला की पर फिर से उठने लगी आवाज

जिसमें 24, लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी एक घायल ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था तथा दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे

जनपद गाजियाबाद के  मुरादनगर में 3, जनवरी 2021 ,को नगर पालिका परिषद के भ्रष्टाचार के कारण 25 ,लोगों की जान लेने वाले श्मशान घाट नरसंहार मामला नगर पालिका परिषद चुनावों से पहले फिर से आवाज  उठने लगी है और पालिका चुनाव तक यह आवाज पूरा जोर पकड़ेगी। सत्ताधारी पार्टी भाजपा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट की लाइन में लगे स्थानीय नेता अभी तक टिकट न कट जाए इस डर से अपना मुंह नहीं खोल रहे क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का दम भरने वाली सत्ताधारी भाजपा के शासनकाल उसी के पालिका अध्यक्ष के समय पूरे विश्व को झकझोर देने वाला श्मशान घाट नरसंहार हुआ था लेकिन अभी तक खुद पीड़ितों तक को यह पता नहीं है कि उनके परिवारों को उजाड़ने वाले दोषियों को क्या सजा मिली और मिलेगी भी या नहीं। टिकट लेने की लाइन में लगे भाजपा नेता इस मुद्दे को हाई वोल्टेज करंट मानकर चुप हैं कि कहीं इतने बड़े नरसंहार को उठाने की सजा में उनका टिकट ही साफ न हो जाए लेकिन मीडिया और विपक्ष नगरपालिका चुनावों में इस मामले को जनता के बीच उठाकर पीड़ितों के जख्मों पर मरहम रख लोगों का समर्थन हासिल करने के प्रयास करेंगे मीडिया तथा विपक्ष के नेताओं ने दबी आग को दोबारा कुरेदना शुरू कर दिया है और इस मामले को लेकर वह भाजपा प्रत्याशी ,पार्टी पर हमलावर होते दिखलाई देंगे। भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने उस समय दोषियों को सजा दिलाने पीड़ितों को सहायता दिलवाने के वादे किए थे जिसमें केंद्रीय मंत्री सेवानिवृत्त जनरल वी ,के, सिंह, स्थानीय भाजपा विधायक अजीत पाल त्यागी, भी शामिल थे लेकिन मामला सत्ताधारी पार्टी का होने के कारण वह चुप्पी साध गए। भाजपाई इस मामले का कहीं जिक्र तक भी नहीं करते और यदि कोई उनसे इस विषय में पूछता है उनका जवाब होता है कि पार्टी के खिलाफ बोलने से उनके टिकट पर आंच आ सकती इसलिए वह इस बारे में अभी कुछ नहीं बोल सकते लेकिन इंसाफ का आश्वासन जरूर देते हैं वह भी चुपके से। भाजपा से टिकट लेने के दावेदार बड़ी संख्या में प्रत्याशी शहर में लोगों के बीच पहुंच रहे हैं लेकिन परिवारों को उजाड़ देने वाले मामले को जबान पर भी लाना नहीं चाहते क्योंकि मामला टिकट का है। एसआईटी की रिपोर्ट में नौकरशाहों ठेकेदार के साथ ही पालिका अध्यक्ष को भी जिम्मेदार माना गया है लेकिन उस रिपोर्ट पर क्या अमल हुआ इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं लेकिन सोशल मीडिया पर लोग दोबारा उस त्रासद मामले को उठाने लगे हैं सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इतने लोगों की जान लेने के दोषियों का क्या हुआ। चुनाव से पहले यदि इस मामले में यह स्पष्ट नहीं हुआ कि दोषियों का क्या हुआ वह कौन हैं ? तो यह मामला विपक्षियों के पास मुख्य मुद्दा होगा जिसे लेकर वह भाजपा और प्रत्याशी को कटघरे में खड़ा कर पीड़ितों नगर वासियों की संवेदनाएं हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे ।सोशल मीडिया पर पीड़ित परिवारों का दर्द दोबारा से उठना शुरू हो गया है विपक्षी भी अपनी पूरी तैयारी इस मामले को उठाने के लिए कर रहे हैं और पीड़ित परिवारों को भी संभावना है कि शायद चुनाव के बहाने ही सही उन्हें न्याय मिल सकता है इसलिए वह भी उनकी आवाज उठाकर इंसाफ दिलाने का वादा करने वालों के साथ चल सकते हैं। लेकिन अभी सभी टिकट तथा अध्यक्ष के आरक्षण का इंतजार कर रहे हैं टिकट फाइनल होते ही भाजपा को बचाव की मुद्रा में आना पड़ेगा विपक्ष हमलावर होगा पीड़ित उनके हक की बात करने वालों को अपना हितेषी समझेंगे और साथ देंगे। सूत्रों की माने तो एसआईटी ने अपनी जांच में अधिशासी अधिकारी पालिका अध्यक्ष सहित कई अन्य लोगों को दोषी मानते हुए अपनी रिपोर्ट दे दी है लेकिन किन्ही कारणों के चलते अभी उस पर कार्यवाही नहीं हुई है और ऐसा रहना सत्ताधारी पार्टी के हित में भी नहीं होगा क्योंकि बलपूर्वक लाठी के दम पर किसी की आवाज को ज्यादा लंबे समय तक नहीं दबाया जा सकता। यही नहीं इस मामले को लेकर वह लोग तक आक्रोशित हैं जिनके परिवार भ्रष्टाचार की छत के नीचे नहीं दबे लेकिन उनकी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं ।मरने वालों में मुस्लिम वर्ग से कोई भी नहीं था लेकिन उस समय मुस्लिम वर्ग के लोगों ने श्मशान घाट की छत के नीचे दबे घायलों मृतकों को निकालने में सर्वाधिक सहयोग दिया था अपनी आंखों से मंजर देखा था वह लोग भी चाहते हैं कि गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा मिले क्योंकि वह राजनीति नहीं मानवता के कारण ऐसा चाहते हैं और यह मुद्दा नगरपालिका चुनावों को प्रभावित करने की स्थिति में होगा। उखलारसी स्थित श्मशान घाट के प्रार्थना स्थल की नगर पालिका द्वारा नवनिर्मित छत उस समय लोगों के ऊपर भरभरा कर गिर गई थी जब बड़ी संख्या में लोग एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार कराने श्मशान घाट गए थे और उसके नीचे दब गए जिसमें 24, लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी एक घायल ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था तथा दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे ।उस समय लोगों के उग्र तेवरों को देखते हुए मौके पर पहुंचे पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ शीघ्र कठोर कार्यवाही पीड़ित परिवारों को समुचित सहायता दिलाने के आश्वासन दिए थे लेकिन कुछ दिन बाद ही अधिकारी सब कुछ भूल गए और पीड़ितों को इंसाफ के लिए धरने प्रदर्शन भूख हड़ताल करने पड़े थे। सभी विपक्षी पार्टियों नेताओं ने भी यहां पहुंच कर आश्वासन दिए थे लेकिन उनके आश्वासन भी पीड़ितों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा सके । अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरी पीड़ित परिवारों की महिलाओं को लाठी के दम पर आंदोलन स्थल से भगा दिया गया था लेकिन पालिका चुनाव की सरगर्मियां शुरू होते ही इस मामले को लेकर दोबारा सुगबुगाहट होने लगी है पीड़ित परिवार ही नहीं अन्य लोग भी दोषियों को सजा मिलना देखना चाहते हैं अभी इस बारे में सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हुई हैं जो कि चुनाव के समय बढ़ेंगी। सूत्रों ने  को बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था जिसमें एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है संबंधित विभागों से कार्यवाही के लिए लिखा गया है अधिशासी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की अनुमति मिल चुकी है जबकि अन्य के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है पीड़ित परिवार ने  डेडबोडी को हाईवे  पर रखकर जाम कर दिया था उस समय एडीजी व आई जी प्रवीन कुमार ने  विश्वास के साथ पीड़ित परिवार को शासन प्रशासन की अनुमति के अनुसार पीड़ितो की मांग को लेकर एक आश्वासन पत्र जिसमें 6 मांगे पूरी करने का वादा किया था उस पत्र में पहली मांग दस लाख रुपए मुआवजे धनराशि दी जाएयी योग्य अनुसार नौकरी व नाबालिक बच्चो की निशुल्क पढ़ाई का खर्चा  तथा घायल को नौकरी और आरोपियों की संपत्ति की कुर्की की जायेगी अभी तक  शासन प्रशासन के आरोपी को बचाने में लगी हुई है आरोपियों की संपत्ति कुर्की भी नही कर रही है अब एक बड़ा सवाल उठ रहा है शासन प्रशासन आरोपियों का सहयोग करने क्यों लगी हुई है ।
 *हिंदी समाचार पत्र आप की आवज मेरी कलम*
 *संवाददाता यूसुफ खान*
 *गाजियाबाद उत्तर प्रदेश*

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